Apara/Jalkrida Ekadashi
Jyeshtha Krishna Paksh..... May - Jun
Jyeshtha Krishna Paksh..... May - Jun
Yudhishthir asked : "Hey Janaardana..! which is the Ekadashi of Yyeshtha krishna paksh? I want to listen to its glory. Please let me know about it."
Lord SriKrishna said : "Hey king ! you have asked about a thing which is beneficial to all the worlds.Hey king the Ekadashi of Jyeshtha Krishna Paksh is named Aparaa Ekadashi.
Lord SriKrishna said : "Hey king ! you have asked about a thing which is beneficial to all the worlds.Hey king the Ekadashi of Jyeshtha Krishna Paksh is named Aparaa Ekadashi.
It is very holy and destroys very huge sins.One who has killed the brahmins, murder of gotra,one who kills a baby inside the womb,one who criticizes others, and even a man who has illicit
relationship with other women, all are purified of their sins by this fast.One who becomes a false wtness,one who decieves people in meassurement,one who calculates the stars{fake astrologer}without knowing them, one who becomes a doctor of Ayurveda without really knowing this science,....all these creaters live in hell.But with the fast of Apara Ekadashi, all of them are purified.
If a Kshatriya{warrior cast} runs away from the battlefield, he is damned in hell, if one criticizes one's own Guru after after attainig knowlege from Guru, he is also damned in hell.But with the
keeping of the fast of Aparaa Ekadashi, all these people are saved .
In the month of maagh, when Sun is in the zodiac of capricorn, the good karma that one gets while having a bath at Prayaag,is equivalent to the keeping the fast of Shivaratri in the holy city of Kashi, doing the Pindadaan in the holy city of Gayaa ji to satiate the ancestors,when Jupitar is in the zodiac of Leo and one has a holy bath in the river Godaavari,Also having darshan of Badrinaath and Kedarnath, and in the time of solar eclipse, if one gives alms along with dakhshina of horses, elephants and gold, all these are equivalent to keeping the fast of Aparaa Ekadashi. After doing the fast and then one should worship Lord Vaamana, all his sins will be destroyed and he will attain Vaikuntha.By listening to this glory of Apara Ekadashi one gets the good, holy karma equal to giving alms of 1000 cows.
अपरा एकादशी
युधिष्ठिर ने पूछा : जनार्दन ! ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है? मैं उसका माहात्म्य सुनना चाहता हूँ । उसे बताने की कृपा कीजिये ।
भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आपने सम्पूर्ण लोकों के हित के लिए बहुत उत्तम बात पूछी है । राजेन्द्र ! ज्येष्ठ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार वैशाख ) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘अपरा’ है । यह बहुत पुण्य प्रदान करनेवाली और बड़े बडे पातकों का नाश करनेवाली है । ब्रह्महत्या से दबा हुआ, गोत्र की हत्या करनेवाला, गर्भस्थ बालक को मारनेवाला, परनिन्दक तथा परस्त्रीलम्पट पुरुष भी ‘अपरा एकादशी’ के सेवन से निश्चय ही पापरहित हो जाता है । जो झूठी गवाही देता है, माप तौल में धोखा देता है, बिना जाने ही नक्षत्रों की गणना करता है और कूटनीति से आयुर्वेद का ज्ञाता बनकर वैद्य का काम करता है… ये सब नरक में निवास करनेवाले प्राणी हैं । परन्तु ‘अपरा एकादशी’ के सवेन से ये भी पापरहित हो जाते हैं । यदि कोई क्षत्रिय अपने क्षात्रधर्म का परित्याग करके युद्ध से भागता है तो वह क्षत्रियोचित धर्म से भ्रष्ट होने के कारण घोर नरक में पड़ता है । जो शिष्य विद्या प्राप्त करके स्वयं ही गुरुनिन्दा करता है, वह भी महापातकों से युक्त होकर भयंकर नरक में गिरता है । किन्तु ‘अपरा एकादशी’ के सेवन से ऐसे मनुष्य भी सदगति को प्राप्त होते हैं ।
माघ में जब सूर्य मकर राशि पर स्थित हो, उस समय प्रयाग में स्नान करनेवाले मनुष्यों को जो पुण्य होता है, काशी में शिवरात्रि का व्रत करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, गया में पिण्डदान करके पितरों को तृप्ति प्रदान करनेवाला पुरुष जिस पुण्य का भागी होता है, बृहस्पति के सिंह राशि पर स्थित होने पर गोदावरी में स्नान करनेवाला मानव जिस फल को प्राप्त करता है, बदरिकाश्रम की यात्रा के समय भगवान केदार के दर्शन से तथा बदरीतीर्थ के सेवन से जो पुण्य फल उपलब्ध होता है तथा सूर्यग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में दक्षिणासहित यज्ञ करके हाथी, घोड़ा और सुवर्ण दान करने से जिस फल की प्राप्ति होती है, ‘अपरा एकादशी’ के सेवन से भी मनुष्य वैसे ही फल प्राप्त करता है । ‘अपरा’ को उपवास करके भगवान वामन की पूजा करने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो श्रीविष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है । इसको पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान का फल मिलता है ।
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