गोस्वामी तुलसीदासजी का सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान है , अपने युग की विश्रृंखलित , टूटी तथा बिखरी हुयी कड़ियों को जोड़कर उनके बीच समन्वय स्थापित करना !
विदेशी यवनों के राज्य , आक्रमणों , लूट , एवं धार्मिक उन्माद के कारण भारतीय समाज पूरी तरह से टूट चूका तथा !
गोस्वामीजी का अवतरण इसी कालखण्ड में हुआ था ! उन्होंने हिन्दू जाति की सामाजिक , राजनीतिक , धार्मिक टूटन का जितना अधिक एहसास किया है , उससे ज्यादा उन्होंने इसको बड़े धैर्यपूर्वक जोड़ने का प्रयास भी किया है !
इसलिए यह कहा जाता है की महात्मा बुद्ध के बाद भारतीय इतिहास में अगर कोई दूसरा समन्वयवादी महापुरुष हुआ है तो वह है गोस्वामी तुलसीदास
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