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Thursday, April 7, 2011

जीण जीण भज बारंबारा, हर संकट का हो निस्तारा !!


जीण जीण भज बारंबारा, हर संकट का हो निस्तारा !!

जयपुर बीकानेर मार्ग पर सीकर से ११ कि.मी. दूर गोरिया से जीण माता मंदिर के लिए मार्ग है | १७ कि.मी. लम्बा यह मार्ग पहले अत्यंत दुर्गम व रेतीला था किन्तु विकास के दौर में आज यह काफी सुगम हो गया है | सकरा व जीर्ण शीर्ण मार्ग चोडा व काफी हद चिकना हो चुका है |

मंदिर के पास बिना दरवाजों की अनेकों धर्मशालाएं शनि सिंगानापुर का स्मरण कराती हैं - जहां चोरी करना खुद की शामत बुलाना माना जाता है | मंदिर प्रवंध समिति की आधुनिक सुख सुविधायुक्त धर्मशालाएं भी यात्रियों के लिए हैं - जो नाम मात्र के शुल्क पर उपलव्ध हैं | वर्ष प्रतिपदा के एक दिन पूर्व सायंकाल ५ बजे सपरिवार कुल देवी जीण माता की शरण में पहुंचा | पहले दर्शन किये - फिर चल दिया हर्ष भैरव के दर्शनों को | जीण माता मंदिर के ऊपर १७ की.मी. सीधी चढ़ाई बाले हर्ष पर्वत पर स्थित १० वी शताब्दी का यह मंदिर, अनेक लोक श्रुतियों का जन्म दाता है | 

ओरंगजेब द्वारा किये गए विध्वंस के चिन्ह आज भी दूर दूर तक बिखरे हुए हैं | प्रस्तर पर उकेरे अनुपम पौराणिक आख्यान, अदभुत पुरातात्विक कलाकृतियाँ - जिसमें ना जाने कितने कलाकारों का अमूल्य परिश्रम लगा होगा - आज धूल धूसरित खंडित जहां तहां बिखरे पड़े हैं |

पुराने शिव मंदिर के स्थान पर नवीन मंदिर निर्माण हो चुका है, किन्तु खंडित ध्वंसावशेष बता रहे हैं कि पुराने मंदिर से उसकी कोई तुलना नहीं हो सकती | संगमरमर का विशाल शिव लिंग तथा नंदी प्रतिमा आकर्षक है | पराशर ब्राह्मण वंश परंपरा से उनकी सेवा पूजा में नियुक्त हैं | पास ही हर्षनाथ का मंदिर है जहां चामुंडा देवी तथा भैरव नाथ के साथ उनकी दिव्य प्रतिमाये स्थित हैं | सेकड़ों के तादाद में काले मुंह के लंगूर मंदिर पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के पहले अधिकारी हैं | कोई आनाकानी करे तो वे जबरन लेने में संकोच नहीं करते |


हर्षदेव व जीण माता का अनुपम आख्यान भाई बहिन के दैवीय प्रेम का अनुपम उदाहरण है | लौकिक मोह किस प्रकार पारलौकिक स्वरुप धारण कर पूजनीय हो गया, यह कथा प्रदर्शित करती है | राज कुमारी जीण बाई को संदेह मात्र हुआ की उनके भाई हर्ष नाथ उनसे अधिक उनकी भाभी को प्रेम करने लगे हैं - उनका भव बंधन टूट गया | और वे देवाराधन व तपस्यारत हो गई दुरूह जंगल में और महामाया भगवती भ्रामरी मां की उपासना करते करते उनके दिव्य स्वरुप मय हो गयीं | राज कुमार हर्षनाथ भी घर द्वार छोड़कर शिवाराधन तल्लीन होकर भैरव के रूप में पूजित हुए |

एतिहासिक तथ्यों के अनुसार औरंगजेब ने मंदिर ध्वंस करने अपनी सेना भेजी, शिव मंदिर तो ध्वस्त हुआ किन्तु सेना पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा | ना जाने कहाँ से भवरों के झुंडों ने सेना पर आक्रमण कर दिया | घवराई हुई सेना भाग खडी हुई | औरंगजेब ने भी सवामन तेल का दीपक अखंड ज्योति के रूप में मंदिर में स्थापित किया जो आज तक प्रज्वलित है | पहले शासन व्यवस्था करता था, आज भक्तो के द्वारा सुव्यवस्था है |
जीण जीण भज बारंबारा, हर संकट का हो निस्तारा !!

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